नई दिल्ली। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और इंग्लैंड के आॅलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटॉफ के बीच कई बार नोंक झोक देखने को मिली। वहीं सौरव गांगुली भी फ्लिंटॉक को उन्हीं के तरीके से जवाब देते थे। इन दोनों के बीच हुई अदावत के कई किस्से आज भी मशहूर हैं।
इन दोनों के बीच नोंक झोंक का सिलसिला वर्ष 2002 में शुरू हुआ था, जब इंग्लैंड की टीम भारत दौरे पर आई थी। उस वक्त दोनों देशों की टीमों के बीच 6 मैचों की वनडे सीरीज खेली गई थी। अब इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज स्टीव हार्मिसन ने गांगुली और फ्लिंटॉफ के बीच हुए एक झगड़े का किस्सा शेयर किया है।
फ्लिंटॉफ को दिया उन्हीं के अंदाज में जवाब
वर्ष 2002 में भारत-इंग्लैंड सीरीज के आखिरी मैच में सीरीज का फैसला होना था। भारत ने इस सीरीज में 3-2 की बढ़त हासिल कर ली थी। आखिरी मैच इंग्लैंड जीत गई और यह सीरीज 3-3 से बराबर रही। सीरीज का आखिरी मुकाबला जीतते ही फ्लिंटॉफ ने मैदान पर ही टी-शर्ट उतारकर दौड़ लगाई थी और भारतीय कप्तान गांगुली को नीचा दिखाने की कोशिश की थी। इसी वर्ष इंग्लैंड में नेटवेस्ट ट्रॉफी का आयोजन हुआ। इसके फाइनल में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को हरा दिया। इस पर गांगुली ने लॉर्ड्स की बालकनी में टी-शर्ट उतारकर लहराई और फ्लिंटॉफ को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया।
टॉयलेट से लगाई मैदान की तरफ दौड़
इंग्लैंड टीम के पूर्व तेज तेज गेंदबाज हार्मिसन ने गांगुली-फ्लिंटॉफ से जुड़ा मजेदार किस्सा शेयर किया। ब्रैड हॉग के शो ‘टेस्ट आॅफ टाइम’ हार्मिसन ने बताया कि उन्होंने अपने डेब्यू टेस्ट में वर्ष 2002 में गांगुली को 99 रन पर आउट किया था। दरअसल, दोनों टीमों के बीच नॉटिंघम टेस्ट चल रहा था। उस वक्त फ्लिंटॉफ टॉयलेट ब्रेक के लिए मैदान से बाहर गए थे। जैसे ही हार्मिसन ने गांगुली को 99 रन पर आउट किया तो फ्लिंटॉफ ने गांगुली को अपशब्द कहने के लिए टॉयलेट से मैदान की तरफ दौड़ लगाई। पवेलियन लौटते हुए गांगुली को उन्होंने अपशब्द कहे तो गांगुली ने भी उन्हें उसी तरह से जवाब दिया।
भिड़ जाते थे गांगुली
शो के दौरान हार्मिसन ने कहा कि गांगुली लोगों से टकरा जाते थे और इसी वजह से लोग उनके साथ आसानी से रिश्ता नहीं बना पाते थे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वैसे गांगुली अच्छे इंसान हैं, लेकिन उनमें कुछ ऐसी बात थी कि लोग उनके साथ बेहतर तरीके से जुड़ नहीं पाते थे। बता दें कि लॉर्ड्स की बालकनी में गांगुली के टीशर्ट उतारकर हलराने का किस्सा काफी मशहूर है। हालांकि बाद में गांगुली ने खुद माना था कि वह तरीका गलत था, जीत का जश्न मनाने के और भी तरीके हैं।
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